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लैड बैटरी की तरह ही लिथियम बैटरी भी असेंबल की जाएगी

एक ओर तो भारत सरकार आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रही है दूसरी ओर लिथियम बैटरी को बढ़ावा देकर चीन पर निर्भर होने जा रही है।


Published Date: 2025-09-15 15:06:08





– कमल कंसल –
अध्यक्ष, सैन्ट्रल वैस्ट जोन, फैडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल स्केल बैटरी एसोसिएशंस, दिल्ली

मुझे नहीं लगता कि लिथियम बैटरी के आने से बैटरी का बाजार लोकल बैटरी वालों के हाथ से निकल जाएगा। लोग सोच रहे हैं कि लिथियम बैटरी बाजार बड़ी कंपनियों के हाथ में आएगा लेकिन यदि लिथियम सैल इसी प्रकार बड़ी मात्रा में चाइना से इम्पोर्ट होते रहे तो लिथियम बैटरी का बाजार लोकल बैटरी वालों के हाथ में चला जाएगा न कि बड़ी बैटरी कंपनियों के हाथ में।

स्मरण रहे कि कुछ वर्षों पहले लोकल बैटरी बनाने वाले बैटरी प्लेट, कंटेनर, सेपरेटर आदि मार्किट से खरीद कर बैटरी असेम्बल करके बैटरी बनाया-बेचा करते थे। साल-दो साल के अन्दर बैटरी में परेशानी आती तो सैल बदलकर पुन: बैटरी चालू कर दिया करते थे। कुछ ज्यादा खर्चा नहीं होता था। लिथियम बैटरी की असेम्बिलिंग मशीन केवल 20 से 25 लाख रु. में आ जाती है। विदेश से सैल लाकर इस मशीन के द्वारा लिथियम बैटरी असेम्बल की जा सकती है।

लैड एसिड बैटरी की लाइफ टेस्टिंग के लिए तो कोई मशीन नहीं थी लेकिन लिथियम बैटरी की तो लाइफ टेस्टिंग मशीन भी है और यह भी ज्ञात हो जाता है कि सैल में कितने प्रतिशत ऊर्जा बाकी है, कितने वोल्ट हैं, कितनी लाइफ साइकल बाकी है। लोकल बैटरी वाला नई लिथियम बैटरी बेचेगा और पुरानी लिथियम बैटरी के सैल भी रिप्लेस करके ठीक करके दे देगा। लोकल बैटरी वाले से फ़ास्ट सर्विस कंपनी वाले भी नहीं दे पाएंगे।

अब बाजार में होलसेलर बढ़ेंगे जो चाइना, ताइवान, थाईलैंड आदि से लिथियम सैल और इसकी एस्सेसरीज़ इम्पोर्ट करके देश में उपलब्ध करायेंगे। जिस प्रकार कुछ वर्षों पहले देश में लैड बैटरी स्पेयर पार्ट्स का काम बड़े स्तर पर होता था, बैटरी प्लेट, कंटेनर, सेपरेटर, कंपाउंड, केमिकल्स मिलते थे उसी प्रकार लिथियम बैटरी सैल्स और इसकी एस्सेसरीज़ की बिक्री का काम शुरू हो जाएगा।

यद्यपि अभी देश में लिथियम बैटरी की शुरूआत ही है लेकिन अभी से बाजार में दो प्रकार की लिथियम बैटरी उपलब्ध हैं-नए सैल की लिथियम बैटरी और पुराने सैल की लिथियम बैटरी।

एक ओर तो भारत सरकार आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रही है दूसरी ओर लिथियम बैटरी को बढ़ावा देकर चीन पर निर्भर होने जा रही है। अभी हाल में चीन ने ई वी के लिए रेयर अर्थ मेटल के निर्यात पर पाबन्दी लगा दी है। रेयर अर्थ मेटल में मेग्नेट और एंटीमनी आती है जिसके बिना ई-वाहन बन नहीं सकते और लैड बैटरी की लागत बढ़ गई है।

हाल ही में अडानी को सोडियम बैटरी निर्माण का प्लांट लगाने का लाइसेंस मिला है। ज्यादा दिन तक लिथियम पर भी निर्भरता नहीं रहेगी इसकी जगह सोडियम बैटरी ले लेगी। सोडियम सभी जगह उपलब्ध है। सोडियम तो फ्री के बराबर मेटल है, समुद्र में सोडियम भरा पड़ा है।

लघु बैटरी उद्योग वाले यह न सोचें कि हमारे हाथ से सारा बिज़नस चला जाएगा। समय के अनुसार आपको थोड़ा बदलना पड़ेगा। लिथियम बैटरी एसेम्बल करने पर विचार करें। केमिकल्स आदि के इम्पोर्टर लिथियम सैल एवं उसकी एस्सेसरीज़ इम्पोर्ट करना शुरू करें और छोटे बैटरी एसेम्बलर को उपलब्‍ध कराएं।
 
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